Tuesday, December 3, 2024

पुरानी यादें और सर्दियों की बात: 90 के दशक का वो जादू

 सर्दियों की ठंडी सुबहें और पुराने दिनों की गर्म यादें हमेशा दिल को सुकून देती हैं। 90 के दशक की सर्दियां कुछ अलग ही हुआ करती थीं। न मोबाइल का शोर था, न इंटरनेट की भाग-दौड़। बस एक सुकूनभरा समय था, जब रिश्ते और पल दोनों ही गहराई से महसूस किए जाते थे।

सुबह का आलस और रजाई का प्यार

सुबह उठने से पहले रजाई के अंदर दुबके रहने का मज़ा ही कुछ और था। स्कूल जाने के लिए मां की मीठी डांट, "उठ जा, नहीं तो देर हो जाएगी," और ठंडे पानी से मुंह धोने की हिम्मत जुटाना किसी चैलेंज से कम नहीं था।

मूंगफली और गुड़ की मिठास

सर्दियों में चौपालों पर मूंगफली और गुड़ का स्वाद हर गली में बसा होता था। सर्दियों की गुनगुनी धूप में बैठकर मूंगफली छीलना और दोस्तों के साथ ठिठोली करना, वो पल किसी भी आधुनिक मनोरंजन से बेहतर थे।

पतंगबाजी और खेतों की हरियाली

90 के दशक की सर्दियों में पतंगबाजी का खास आकर्षण था। "वो काटा!" की आवाज़ और आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें देखकर हर दिल झूम उठता था। खेतों में सरसों के फूल और गेहूं की लहलहाती फसलें सर्दियों के दिनों को और भी खास बना देती थीं।

त्योहारों की रौनक

मकर संक्रांति, लोहड़ी, और बसंत पंचमी जैसे त्योहारों का माहौल हर घर में खुशी बिखेर देता था। घर की रसोई से गुड़-तिल की मिठास और गजक-पताशे की खुशबू सर्दियों को और यादगार बना देती थी।

अंतहीन कहानियां और बड़ों का साथ

रात में अलाव के पास बैठकर दादी-नानी की कहानियां सुनने का जो मज़ा था, वो आज के गैजेट्स नहीं दे सकते। वो किस्से-कहानियां हमें न सिर्फ मनोरंजन देती थीं, बल्कि जीवन की गहरी सीख भी सिखाती थीं।

नयी सर्दियां, पुरानी यादें

आज जब ठंड का मौसम आता है, तो उन पुराने दिनों की यादें दिल को गुदगुदा जाती हैं। न वो अलाव रहा, न वो कहानियां, लेकिन दिल के किसी कोने में 90 के दशक की सर्दियां आज भी गर्माहट भर देती हैं।

क्या आपके पास भी ऐसी कोई सर्दियों की याद है जो आपको 90 के दशक में वापस ले जाती है?

Monday, October 28, 2024

दीपावली: मानवता का दीप जलाएँ, पर्यावरण बचाएँ

 दीपावली का पर्व हमेशा से ही प्रकाश, खुशियों, और प्रेम का संदेश लेकर आता है। यह त्यौहार जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और एकता का प्रतीक है। लेकिन समय के साथ, हम इस पर्व के मूल उद्देश्य से भटकने लगे हैं। दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि मानवीय भावनाओं को संजोने का अवसर है, जहाँ हम एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और सहयोग का दीप जलाते हैं। इस पर्व पर हमें अपनी धरती माँ और उसके पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने का प्रण लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस सुंदर पर्व का आनंद उठा सकें।




मानवता का दीप जलाएँ

दीपावली का असल संदेश मानवता के प्रति सम्मान और एकता का है। इस समय हमें यह समझना चाहिए कि धर्म, जाति, और भाषा से ऊपर उठकर सभी एक ही धरती के वासी हैं। हमें मिलकर, एक-दूसरे की खुशी और दुःख में सहभागी बनकर, अपने समाज को एकजुट बनाना चाहिए। इस दीपावली पर हम सभी को एक वचन लेना चाहिए कि हम अपने विचारों और कार्यों से समाज को विभाजित करने के बजाय उसे जोड़ने की कोशिश करेंगे।

इस अवसर पर गरीबों और ज़रूरतमंदों के प्रति सहानुभूति रखना भी हमारी जिम्मेदारी बनती है। त्योहार का असली आनंद तब है, जब हम अपनी खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटते हैं। अपने आसपास ऐसे लोगों की सहायता करें जिन्हें किसी प्रकार की ज़रूरत है। यह दीपावली, मानवता का दीप जलाने का पर्व है - एक ऐसा दीप जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है, भले ही उस उजाले से हमारा हृदय ही क्यों न आलोकित हो।

पर्यावरण का संरक्षण

दीपावली के दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन जाती है। पटाखों से निकलने वाला धुआँ न केवल हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है, बल्कि हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचाता है। इस पर्व पर हमें पर्यावरण की रक्षा करने का भी संकल्प लेना चाहिए। कुछ छोटे-छोटे कदम लेकर हम इसे प्रदूषणमुक्त बना सकते हैं, जैसे कि मिट्टी के दीयों का प्रयोग करना, पौधों को गिफ्ट करना, और पटाखों से दूर रहना।

प्रकृति हमारे लिए अनमोल धरोहर है, और इसे बचाना हमारा नैतिक दायित्व है। एक स्वच्छ, शांत और प्रदूषणमुक्त दीपावली न केवल हमारे वातावरण को सुरक्षित रखेगी, बल्कि हमें भी आंतरिक संतोष प्रदान करेगी।

दीपावली का असल अर्थ: एकता और समर्पण

दीपावली का असली अर्थ केवल अपने घर को रोशनी से सजाना नहीं है, बल्कि अपने हृदय और विचारों में भी उजाला लाना है। समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लाकर, इस पर्व को एक ऐसा त्यौहार बनाना है जो एकता, प्रेम, और सद्भाव का प्रतीक बने। आज के समय में समाज में कई विभाजन देखने को मिलते हैं, लेकिन इस त्यौहार का मूल उद्देश्य हमें एकजुट करना है। हमें इस पर्व पर अपने मन में किसी के प्रति द्वेष, ईर्ष्या, और पूर्वाग्रह को समाप्त कर, सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

एक नई शुरुआत का संदेश

इस दीपावली पर, हम सभी को अपनी सोच में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। मानवीय गुणों को अपनाते हुए समाज को एकजुट करना और पर्यावरण का संरक्षण करना ही इस पर्व का असली संदेश है। इस दीपावली को एक नए संकल्प के साथ मनाएँ - एक ऐसा संकल्प जो मानवता, प्रेम, और पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ले जाए।

आइए, इस दीपावली पर हम सभी मिलकर मानवता का दीप जलाएँ, पर्यावरण को सुरक्षित रखें और समाज में प्रेम, एकता और सौहार्द का संदेश फैलाएँ।